Piyush Mishra
डी.टी.: क्या आज की युवा पीढ़ी हिन्दी से, खासकर हिंदी कविता से दूर जाती जा रही है? इस परिस्थिति को कैसे सुधारा जा सकता है?
पियूष: कठिनाई तो यह है कि हिंदी के लेखक कम हैं और जो हैं, उन्होंने लेखन में अपनी रुचि को सीमित कर रखा है। जहाँ तक हिंदी से दूरी की बात है, जब तक आपके लेखन में रचनात्मकता है, वह युवा हो या फिर उम्र-दराज़, आपको कभी पढ़ने-देखने-सुनने वालों की कमी नहीं होगी। गुलाल जैसी फिल्म, जो की एक वृहद हिंदी रचना है, उसको युवकों द्वारा खूब सराहा गया। यह इस बात का प्रमाण है कि लोग साहित्य की इज्जत करते हैं और महज अंग्रेजी भाषा के गुलाम नहीं हैं। किसी व्यक्ति का रुझान सिर्फ और सिर्फ इस बात पर निर्भर करता है कि आपके लेखन और लेखनी में कितना दम है।